Srimad Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 8

दुःखमित्येव यत्कर्म कायक्लेशभयात्त्यजेत् । 
कृत्वा राजसं त्यागं नैव त्यागफलं लभेत् ।। 8 ।। 

जो कुछ कर्म है, वह सब दुःखरूप ही है, ऐसा समझकर यदि कोई शारीरिक क्लेश के भय से कर्तव्य-कर्मों का त्याग कर दे, तो वह ऐसा राजस त्याग करके त्याग के फल को किसी प्रकार भी नहीं पाता । (8)

Share Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 8