Srimad Bhagavad Gita Chapter 18 Verse 4
निश्चयं श्रृणु मे तत्र त्यागे भरतसत्तम ।
त्यागो हि पुरुषव्याघ्र त्रिविधः सम्प्रकीर्तितः ।। 4 ।।
हे पुरुषश्रेष्ठ अर्जुन ! संन्यास और त्याग, इन दोनों में से पहले त्याग के विषय में तू मेरा निश्चय सुन । क्योंकि त्याग सात्त्विक, राजस और तामस भेद से तीन प्रकार का कहा गया है । (4)